जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस जन्माष्टमी (शनिवार, 16 अगस्त) को भगवान श्रीकृष्ण की जीवन-लीलाओं और ऐतिहासिक प्रसंगों से जुड़े विभिन्न स्थलों का विशेष दौरा करेंगे। इस अवसर पर वे प्रदेश के कई प्राचीन मंदिरों और पौराणिक स्थलों पर दर्शन कर पूजा-अर्चना करेंगे।
सरकारी कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री का यह दौरा रायसेन, धार, इंदौर और उज्जैन जिलों के प्रमुख मंदिरों और धामों तक फैला रहेगा। वे सर्वप्रथम रायसेन जिले के महलपुर पाठा के प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर जाएंगे। इसके बाद धार जिले के अमझेरा और फिर इंदौर जिले के जानापाव स्थित तीर्थस्थलों का भ्रमण करेंगे। इसके साथ ही वे उज्जैन के गोपाल मंदिर, सांदीपनि आश्रम और महिदपुर के समीप स्थित नारायणा धाम में भी पूजा करेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस यात्रा को “गौरवशाली इतिहास और आस्था का संगम” बताया है। उनका मानना है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लीला स्थलों का दर्शन केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समृद्ध भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक प्रसंगों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का अवसर भी है।
उन्होंने इस दौरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “विरासत से विकास” की परिकल्पना से जोड़ा है और कहा कि इन प्राचीन स्थलों के विकास से प्रदेश को धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण के क्षेत्र में नई दिशा मिलेगी।
महलपुर पाठा का प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर
रायसेन जिले के महलपुर पाठा गांव स्थित यह मंदिर 13वीं शताब्दी का बताया जाता है। यहां राधा-कृष्ण और देवी रुक्मणि की दुर्लभ श्वेत पत्थर से निर्मित संयुक्त प्रतिमा स्थापित है। शिलालेख से पता चलता है कि मंदिर का निर्माण संवत 1354 (1297 ई.) में हुआ था। मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन किला, बावड़ियां और शिल्पकला आज भी ऐतिहासिक वैभव की झलक देते हैं। मुख्यमंत्री इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करेंगे।
अमझेरा का धार्मिक महत्व
धार जिले का अमझेरा स्थल भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी के विवाह प्रसंग से जुड़ा है। भागवत पुराण और अन्य ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, रुक्मणी ने श्रीकृष्ण को विवाह के लिए आमंत्रित किया था और कृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर उनसे विवाह किया। इस पौराणिक प्रसंग के कारण अमझेरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। मुख्यमंत्री यहां भी दर्शन करेंगे और पूजा करेंगे।
जानापाव: परशुराम जन्मस्थली
इंदौर जिले का जानापाव भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है। मान्यता है कि यहीं पर भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है और धार्मिक यात्रियों का प्रमुख आकर्षण है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव यहां भी श्रद्धा अर्पित करेंगे।
उज्जैन के गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम
मुख्यमंत्री का अगला पड़ाव उज्जैन होगा, जहां वे गोपाल मंदिर और सांदीपनि आश्रम में विशेष कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
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गोपाल मंदिर : 19वीं सदी में निर्मित यह मंदिर मराठा स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका द्वार ऐतिहासिक रूप से बेहद खास है क्योंकि इसे “सोमनाथ का द्वार” कहा जाता है। महमूद गजनी द्वारा लूटे गए इस द्वार को बाद में सिंधिया शासकों ने भारत वापस लाकर यहां स्थापित किया था।
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सांदीपनि आश्रम : यह वही स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने गुरुकुल शिक्षा प्राप्त की थी। यहां श्रीकृष्ण ने 16 विद्याएं, 18 पुराण और 64 कलाओं का अध्ययन किया। जन्माष्टमी पर यहां विशेष पूजन-अभिषेक और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
नई पीढ़ी तक पहुंचेगा गौरवशाली इतिहास
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि इस तरह की यात्राएं केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को ऐसे स्थलों का भ्रमण कराया जाना चाहिए ताकि वे इतिहास की गौरवगाथाओं से अवगत हो सकें।
प्रदेश सरकार “श्रीकृष्ण पाथेय” के विकास के लिए न्यास भी गठित कर चुकी है, जिसके माध्यम से इन पौराणिक स्थलों को पर्यटन और तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
जन्माष्टमी पर मुख्यमंत्री को प्रदेश के 20 से अधिक स्थानों और कार्यक्रमों से आमंत्रण प्राप्त हुआ है। हालांकि वे चयनित स्थलों पर ही जाएंगे और वहां पूजा-अर्चना करेंगे। डॉ. यादव का यह दौरा धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।