जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुनवाई की। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की स्पेशल बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पहले ही 11 अगस्त को आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों के भीतर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था, लेकिन आदेश के पालन में स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण विवाद पैदा हो गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कुछ लोग खुद को पशु प्रेमी बताते हैं, जबकि वास्तव में वे मांसाहारी हैं और आदेश के पालन में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रेबीज और डॉग बाइट्स की वजह से बच्चों और नागरिकों की सुरक्षा गंभीर खतरे में है। उनके अनुसार, नसबंदी और वैक्सीनेशन से भी रेबीज पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सकता।
अभिभाषक कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में पर्याप्त शेल्टर होम उपलब्ध नहीं हैं और वर्तमान में कुत्तों को उठाने के बाद उनके लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। सिब्बल ने कहा कि आदेश का पालन तब तक प्रभावी नहीं हो सकता जब तक शेल्टर और पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पहले दिए गए आदेश पर रोक लगाई जाए, ताकि नगर निगम उचित तैयारी कर सके।
कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ ने स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नगर निगम और संबंधित विभाग वह नहीं कर रहे जो उनकी जिम्मेदारी है। अदालत ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप दर्ज कराने आए हर व्यक्ति और अधिकारी को जवाबदेह होना चाहिए। एडवोकेट सिद्धार्थ दवे ने भी कोर्ट को बताया कि कुत्तों को उठाया तो जा रहा है, लेकिन कोई शेल्टर होम नहीं है, जिससे आदेश का पालन संभव नहीं हो पा रहा।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर नसबंदी करें और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। अदालत ने कहा कि आदेश के पालन में किसी भी प्रकार की रुकावट कानूनी कार्रवाई के योग्य होगी। कोर्ट ने नगर निकायों को 8 हफ्ते का समय दिया है ताकि इस प्रक्रिया को पूरी तरह लागू किया जा सके।
इस पूरे मामले का ध्यान तब बढ़ा जब सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को देश में डॉग बाइट्स और रेबीज से हुई मौतों पर खुद नोटिस लिया। लोकसभा में पशुपालन राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बताया कि 2024 में दिल्ली में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले आए और रेबीज से 54 लोगों की मौत हुई। इनमें छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत का मामला भी शामिल था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर और चिंताजनक बताया और स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया कि बच्चों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।