जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में नई प्रमोशन नीति 2025 को लेकर आरक्षण विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में मंगलवार को निर्धारित सुनवाई नहीं हो सकी और अब इसे 14 अगस्त को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया गया है। उच्च न्यायालय में इस जनहित याचिका के साथ ही चार अन्य विभागों से जुड़ी नई याचिकाएँ भी दाखिल की गई हैं। कोर्ट सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।
जानकारी के अनुसार, नई प्रमोशन नीति को लेकर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार अपना पक्ष मजबूती से पेश नहीं कर पाई थी, जिसके चलते अदालत ने अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार, सरकार इस मामले में दिल्ली से सीनियर एडवोकेट की मदद भी लेने की तैयारी कर रही है। हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि मामले में स्थिति स्पष्ट होने तक किसी भी कर्मचारी को नई नीति के तहत पदोन्नति नहीं दी जा सकती। इस आदेश के बाद 31 जुलाई तक सरकार के तमाम पदोन्नति प्रयास सफल नहीं हो सके।
कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक नई नीति के तहत कोई भी पदोन्नति नहीं दी जाएगी। याचिकाकर्ताओं में भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी सहित अन्य कर्मचारियों ने दलील दी कि हाईकोर्ट पहले ही साल 2002 के प्रमोशन नियमों को आरबी राय केस में रद्द कर चुका है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने नए सिरे से वही नीति लागू कर दी, जबकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और वहां यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी है।
मध्यप्रदेश सरकार ने नई पदोन्नति नीति को 17 जून को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद 19 जून 2025 को अधिसूचना जारी कर लागू कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस नहीं लिया गया और पुराने नियम के तहत पदोन्नत कर्मचारियों को नई अधिसूचना के अनुसार पदोन्नत नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि पुराने और नए नियम के बीच अंतर क्यों लागू किया गया और सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका के बावजूद सरकार ने नया नियम क्यों बनाया। सुनवाई के दौरान यह तय होगा कि कर्मचारियों के लिए पदोन्नति का मार्ग खुलेगा या प्रक्रिया अटकी रहेगी। सूत्रों के अनुसार, सरकार अगली सुनवाई में अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए पूर्व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल सीएस वैद्यनाथन को बुला सकती है।
इस पूरे मामले ने मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों में अनारक्षित वर्ग के लिए पदोन्नति नियमों की वैधता और कानून व्यवस्था पर नई बहस शुरू कर दी है। कर्मचारियों और अधिकारियों की नजर अब 14 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हुई है।