जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताने के विवादित बयान मामले में आज इंदौर की एमपी-एमएलए कोर्ट में विशेष जांच दल (एसआईटी) अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी। यह वही मामला है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को सुनवाई के दौरान एसआईटी को 13 अगस्त तक जांच पूरी कर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को करेगा, जहां एसआईटी की रिपोर्ट पर चर्चा होगी।
सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाई में तल्ख टिप्पणी
28 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की सार्वजनिक माफी को निष्ठाहीन करार देते हुए खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि शाह के माफीनामे वाले वीडियो में यह स्वीकार नहीं किया गया कि उन्होंने अपने बयान से जनभावनाओं को ठेस पहुंचाई। जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा— “वह आत्मचिंतन करें कि अपनी सजा कैसे चुकाएं। आपकी वह सार्वजनिक माफी कहां है? हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।”
संसद में सीएम के साथ नजर आए शाह
इससे पहले, मंगलवार को विजय शाह संसद भवन परिसर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ नजर आए थे। मुख्यमंत्री उस दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने पहुंचे थे। मीडिया से चर्चा के दौरान मंत्री शाह भी उनके साथ मौजूद थे।
कोर्ट में 28 जुलाई की कार्यवाही
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने मंत्री शाह की ओर से कहा कि पिछले आदेश के अनुसार उनका बयान दर्ज हो चुका है और उन्होंने जांच में सहयोग किया है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि “आपका क्या मतलब है कि बयान दर्ज हो गया है? पिछली तारीख पर आपने क्या कहा था?”
जब परमेश्वर ने बताया कि यह माफी से संबंधित था, तो कोर्ट ने दोबारा पूछा— “आपकी वह सार्वजनिक माफी कहां है? जांच के नाम पर क्या किया गया?”
एसआईटी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि रिपोर्ट 13 अगस्त तक पेश की जाएगी। वहीं, कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर की याचिका पर, जिसमें शाह को मंत्री पद से हटाने की मांग की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया, लेकिन याचिका में दिए गए तथ्यों को एसआईटी जांच में शामिल करने का निर्देश दिया। यह याचिका 23 जुलाई को दाखिल की गई थी।
विजय शाह का विवादित बयान
विवाद की जड़ में विजय शाह का 11 मई का बयान है, जो उन्होंने इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया था। यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में था। शाह ने कहा था—
“उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा।”
उन्होंने आगे कहा—
“अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते। इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा, कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर ले सकते हैं।”
बयान के बाद हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए शाह के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शाह को फटकार लगाई और मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी। यह जांच अब अंतिम चरण में है, जिसकी रिपोर्ट आज पेश की जानी है।
आगे क्या?
अब 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान एसआईटी की रिपोर्ट का मूल्यांकन होगा और यह तय होगा कि आगे की कानूनी कार्यवाही किस दिशा में बढ़ेगी। मामले ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरी प्रतिक्रिया पैदा की है, और अब सबकी नजरें कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं।