जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
दिल्ली और एनसीआर में आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज के बढ़ते खतरे पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने नगर निकायों और संबंधित एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर उनकी नसबंदी की जाए और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए। साथ ही चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की देरी या बाधा बर्दाश्त नहीं होगी, और बीच में हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति या संगठन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने एमसीडी और एनएमडीसी को आदेश दिया कि सभी इलाकों, खासतौर पर संवेदनशील क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान तुरंत शुरू किया जाए। जरूरत पड़ने पर इस कार्य के लिए अलग से विशेष बल (स्पेशल फोर्स) भी बनाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस दिशा में ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनानी होगी।
यह मामला तब सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को स्वत: संज्ञान लेते हुए संसद में पेश एक रिपोर्ट पर सुनवाई की। रिपोर्ट में दिल्ली–एनसीआर में डॉग बाइट और रेबीज के मामलों में चिंताजनक वृद्धि का जिक्र था, जिसमें बच्चों और बुजुर्गों की मौत के कई मामले दर्ज किए गए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य आदेश:
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आठ हफ्तों में पर्याप्त स्टाफ और सीसीटीवी के साथ डॉग शेल्टर तैयार करना, और नसबंदी के बाद कुत्तों को सड़कों पर न छोड़ना।
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छह हफ्तों के भीतर 5,000 कुत्तों को पकड़ने का अभियान शुरू करना, जिसकी शुरुआत संवेदनशील इलाकों से हो; बाधा डालने वालों पर कार्रवाई।
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दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में रोज़ाना पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखना, और नियम तोड़ने पर कड़ी सजा।
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एक हफ्ते में डॉग बाइट और रेबीज के लिए हेल्पलाइन शुरू करना, जिसमें शिकायत मिलने के 4 घंटे के भीतर कार्रवाई हो।
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रेबीज वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक रखना और उसकी उपलब्धता पर रिपोर्ट देना।
रेबीज मामलों पर चिंता का कारण
पिछले महीने पेश आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अब तक 37 लाख से अधिक डॉग बाइट के मामले सामने आए, जिनमें से 54 लोगों की मौत रेबीज से हुई है। पीड़ितों में बड़ी संख्या 15 साल से कम उम्र के बच्चों की है—करीब 5.2 लाख से ज्यादा। 2023 में ऐसे मामलों की संख्या 30.5 लाख थी, जबकि 2022 में 21.9 लाख। दिल्ली में इन घटनाओं में साल-दर-साल 143% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
दिल्ली की मासूम छवि की दर्दनाक कहानी
यह रिपोर्ट एक छह वर्षीय बच्ची, छवि शर्मा, की मौत के बाद और गंभीर हो गई। 30 जून को एक आवारा कुत्ते ने उसे काटा, और इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को “बेहद चिंताजनक और डराने वाला” बताते हुए इसे जनहित याचिका में बदलने का आदेश दिया और रिपोर्ट CJI के सामने रखने को कहा।
पहले भी जताई जा चुकी है सार्वजनिक सुरक्षा पर चिंता
इससे पहले, 15 जुलाई को नोएडा में आवारा कुत्तों को खिलाने के लिए निर्धारित स्थान तय करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि लोग चाहें तो कुत्तों को घर पर खिलाएं, लेकिन सार्वजनिक जगहों पर इससे खतरा बढ़ता है। कोर्ट ने दोपहिया वाहन चालकों और सुबह टहलने वालों पर हमले की घटनाओं को लेकर भी चेतावनी दी थी।
देश के सामने चुनौती
महाराष्ट्र में डॉग बाइट के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं, लेकिन राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में हालात तेजी से बिगड़ते दिख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा निर्देशों के बाद अब यह देखना होगा कि नगर निकाय कितनी तेजी और गंभीरता से इस दिशा में कदम उठाते हैं, ताकि इंसानों और जानवरों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।