हिमाचल-उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही: कैलाश यात्रा रोकी, NH बंद, स्कूलों में छुट्टी; धराली गांव में 34 सेकंड की आई तबाही, 1500 साल पुराना कल्पकेदार महादेव मंदिर ध्वस्त!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में मॉनसून अब आफत बनकर बरस रहा है। बुधवार को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई। इन आपदाओं के कारण कई पुल बह गए, सड़कें बंद हो गईं, सैकड़ों लोग फंसे रहे और हजारों की जान सांसत में आ गई। राहत की बात यह रही कि कई इलाकों में समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिए गए, जिससे जान-माल का बड़ा नुकसान टल गया, लेकिन कुछ जगहों पर विनाश इतना तेज था कि संभलने का मौका ही नहीं मिला।

किन्नौर में दो पुल बहे, कैलाश यात्रा रोकी गई

हिमाचल के किन्नौर जिले में बुधवार को तंगलिंग इलाके में बादल फटने से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। एक वायरल वीडियो में देखा गया कि कैसे पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा और चट्टानें सड़क पर गिर रही हैं। इस घटना का असर कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी पड़ा, क्योंकि इस रूट पर दो पुल बह गए और सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। इससे यात्रा तत्काल प्रभाव से रोक दी गई और आईटीबीपी की टीम ने 413 श्रद्धालुओं को जिपलाइन के ज़रिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

किन्नौर के रिब्बा गांव में रालडांग खड्ड के पास भी बादल फटने से नेशनल हाईवे-5 बंद हो गया। कीचड़ और पत्थरों के कारण 150 मीटर तक सड़क पूरी तरह अवरुद्ध है। शिमला, मंडी, सोलन और कुल्लू जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के चलते स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पर भी मंगलवार रात लैंडस्लाइड हुआ, जिससे 500 से ज्यादा सड़कों पर आवागमन ठप है।

मौसम विभाग ने केरल में रेड अलर्ट, जबकि कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड, बिहार समेत 20 राज्यों में यलो अलर्ट जारी है।

उत्तरकाशी के धराली गांव में 34 सेकंड की तबाही, 4 मौतें, 50 लापता

उत्तराखंड में मंगलवार दोपहर उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में बादल फटने की घटना ने 34 सेकंड में पूरे इलाके को तबाह कर दिया। खीरगंगा नदी में आए अचानक सैलाब ने बाजार, होटल, घर सब कुछ अपने साथ बहा लिया। अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमों ने 150 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है।

इस गांव में पहाड़ के जिस हिस्से से खीरगंगा बहती है, वह लगभग 6000 मीटर ऊंचा है। भूगर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पूरा इलाका मेन सेंट्रल थ्रस्ट जोन में आता है, जो एक भूगर्भीय दरार है और भूकंप जैसी आपदाओं के लिए अति संवेदनशील मानी जाती है। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती ने बताया कि यह गांव ट्रांस हिमालय क्षेत्र में स्थित है और कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद धराली को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया गया।

1500 साल पुराना कल्पकेदार महादेव मंदिर ध्वस्त

इस आपदा में एक बड़ी सांस्कृतिक क्षति यह रही कि धराली में स्थित 1500 साल पुराना कल्पकेदार महादेव मंदिर भी मलबे में समा गया। यह मंदिर पंचकेदार परंपरा से जुड़ा था और स्थानीय लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र था। मंदिर भागीरथी नदी के किनारे स्थित था और हर साल हजारों तीर्थयात्री यहां दर्शन करने आते थे।

पीएम मोदी ने ली अपडेट, सीएम धामी ने किया एरियल सर्वे

बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और राहत कार्यों का जायजा लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने खुद हेलीकॉप्टर से धराली और अन्य प्रभावित इलाकों का एरियल सर्वे किया और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

6 महीने पहले ही दिखे थे खतरे के संकेत

स्थानीय लोगों के अनुसार, करीब 6 महीने पहले उसी पहाड़ी से एक बड़ा हिस्सा टूटकर खीरगंगा नदी में गिरा था लेकिन तब वह मलबा फंसा रह गया था। संभवतः इस बार वही हिस्सा पूरी तरह ढह गया, जिससे विनाश का यह तांडव हुआ।

धराली: गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव, अब मलबे में दबा

धराली गांव, गंगोत्री धाम से लगभग 18 किमी दूर, भागीरथी नदी किनारे बसा हुआ है। यह गंगोत्री तीर्थयात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहां तीर्थयात्री रुककर आगे की चढ़ाई के लिए तैयारी करते हैं। देहरादून से इसकी दूरी 218 किमी है। प्रशासन के अनुसार, हादसे के समय कितने लोग वहां मौजूद थे, इसका सही आंकड़ा अभी नहीं मिल पाया है।

वीडियो में चीख-पुकार और जान बचाने की जद्दोजहद

घटना के कई भयावह वीडियो सामने आए हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे लोग मलबे से बचने के लिए इधर-उधर भागते हैं, चिल्लाते हैं। कुछ लोग दूर से वीडियो बनाते हुए लोगों को सावधान कर रहे हैं। धराली बाजार में करीब 30 फीट तक मलबा जमा हो गया है, जिससे दर्जनों दुकानें और मकान मलबे में तब्दील हो गए हैं।

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