जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में इस बार मानसून अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में झमाझम बारिश ने जनजीवन को प्रभावित किया है तो वहीं किसानों और जल संसाधनों के लिए राहत की खबर भी लेकर आई है। राज्य के उत्तरी जिलों—ग्वालियर, मुरैना, भिंड, श्योपुर, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़ और छतरपुर में सोमवार के लिए मौसम विभाग ने भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में रविवार को भी अच्छी बारिश दर्ज की गई थी।
उत्तरप्रदेश की यमुना से उफनी मंदाकिनी, चित्रकूट में बाढ़ जैसे हालात
उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे चित्रकूट जिले में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण मंदाकिनी नदी भी उफान पर है। परिणामस्वरूप यहां 100 से अधिक दुकानों में पानी घुस गया है, जिससे व्यापारियों को खासा नुकसान हुआ है। कई इलाके जलमग्न हो गए हैं और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
ट्रफ और साइक्लोनिक सिस्टम कर रहे असर
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मध्यप्रदेश के उत्तरी हिस्से में ट्रफ लाइन और साइक्लोनिक सर्कुलेशन की सक्रियता बनी हुई है, जिससे इन क्षेत्रों में भारी बारिश के आसार हैं। अनुमान है कि इन जिलों में अगले 24 घंटे में करीब 4.5 इंच तक पानी गिर सकता है।
पिछले हफ्ते बाढ़ जैसे हालात, नदियां रहीं उफान पर
गत सप्ताह प्रदेश के पूर्वी हिस्सों—जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर संभाग—में लगातार हुई बारिश ने कई जगह बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए। रायसेन जिले में बेतवा नदी ने विकराल रूप ले लिया था, जिससे खेतों और मंदिरों के साथ-साथ कई पुल भी जलमग्न हो गए थे। दो दिन बारिश थमी जरूर है, लेकिन नर्मदा अभी भी उफान पर है। कई डैम अपनी अधिकतम जल सीमा को पार कर गए हैं और सुरक्षा की दृष्टि से उनके गेट खोले गए हैं।
अब तक सामान्य से ज्यादा वर्षा
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में अब तक 28.4 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि इस समय तक सामान्य तौर पर करीब 19 इंच पानी गिरता है। यानी अब तक 9.4 इंच अधिक वर्षा दर्ज की गई है। मानसून सीजन की बात करें तो 1 जून से अब तक प्रदेश में 76 प्रतिशत सामान्य बारिश हो चुकी है, जबकि अभी मानसून के लगभग दो महीने और शेष हैं।
जिलों में स्थिति: कहां कितनी बारिश
राज्य के कई जिलों में अब तक पूरे सीजन का कोटा पूरा हो चुका है। ग्वालियर, राजगढ़, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, मुरैना और श्योपुर में सामान्य से 50% तक अधिक वर्षा हुई है। वहीं, इंदौर संभाग अब तक बारिश के लिहाज से सबसे पीछे है।
भोपाल
राजधानी भोपाल में अब तक लगभग 28 इंच बारिश दर्ज की गई है, जो निर्धारित कोटे का लगभग 70% है। संभाग के रायसेन जिले में सबसे अधिक 41 इंच बारिश हुई है, जिससे यहां का कोटा पूरा हो गया है।
इंदौर
प्रदेश का सबसे पिछड़ा संभाग बारिश के मामले में इंदौर है, जहां अब तक सिर्फ 11 इंच पानी गिरा है। बड़वानी, बुरहानपुर और खरगोन जैसे जिलों में भी 12 इंच से कम वर्षा हुई है।
जबलपुर
जबलपुर में 30.7 इंच बारिश हो चुकी है और मंडला जिले में यह आंकड़ा 44 इंच तक पहुंच गया है। सिर्फ छिंदवाड़ा को छोड़ दें, तो शेष जिलों में पर्याप्त बारिश दर्ज की गई है।
उज्जैन
उज्जैन संभाग के लिए यह मानसून अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। उज्जैन में सिर्फ 14 इंच, शाजापुर में 14.3 इंच, आगर-मालवा में 19.8 इंच वर्षा दर्ज की गई है। वहीं, रतलाम और नीमच में आंकड़ा 22 इंच के पार गया है।
ग्वालियर
ग्वालियर संभाग के 5 में से 4 जिलों में पूरा बारिश का कोटा पहले ही पूरा हो चुका है। गुना जिले में तो 45.8 इंच बारिश हो चुकी है। शिवपुरी में सामान्य से 23% अधिक वर्षा हुई है।
आने वाला सप्ताह: फिर से सक्रिय हो सकता है मानसून
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, फिलहाल कोई स्ट्रॉन्ग सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिससे बारिश थोड़ी थमी हुई है। लेकिन अगले सप्ताह एक नया सिस्टम बनने की संभावना है, जिससे पुनः प्रदेश के कई हिस्सों में तेज बारिश देखने को मिल सकती है।