जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने रक्षाबंधन से पहले लाड़ली बहनों को बड़ी खुशखबरी दी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि इस बार रक्षाबंधन के मौके पर हर बहन को 1250 रुपए के साथ 250 रुपए अतिरिक्त राशि भी दी जाएगी। इस भावनात्मक सौगात को धरातल पर उतारने के लिए सरकार जुलाई महीने में दूसरी बार 4300 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है, जो 30 जुलाई को आरबीआई के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
हालांकि एक ओर जहां इस कदम को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं कि सरकार बार-बार कर्ज क्यों ले रही है, वहीं दूसरी तरफ इसे सशक्त महिला नीति की दिशा में एक मजबूत सामाजिक निवेश भी माना जा रहा है। आर्थिक बोझ उठाकर भी बहनों को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है, और यह रक्षाबंधन तोहफा उसी दिशा में एक भावनात्मक और व्यावहारिक प्रयास है।
एक महीने में दूसरा बड़ा कर्ज – अब तक 9100 करोड़ की उधारी
इसी जुलाई महीने में 8 जुलाई को सरकार पहले ही 4800 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। और अब, 4300 करोड़ रुपए का यह नया कर्ज लेकर जुलाई में कुल 9100 करोड़ की राशि जुटाई जा रही है। इसके साथ ही राज्य सरकार का कुल कर्ज 440340 करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा।
कितनी अवधि के लिए लिया जाएगा यह कर्ज?
यह कर्ज दो हिस्सों में होगा – एक 17 साल और दूसरा 23 साल की अवधि के लिए। कर्ज का भुगतान साल में दो बार ब्याज (कूपन रेट) के रूप में किया जाएगा। ये गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (सरकारी प्रतिभूतियों) के जरिए बाजार से लिया जा रहा है, जिसमें निवेशकों को भरोसेमंद रिटर्न और सरकार को जरूरी फंडिंग मिलती है।
पीछे हटने की बजाय निवेश की रणनीति
सरकार की नीति साफ है – जरूरत पड़ने पर आर्थिक संसाधनों को जुटाकर भी जनकल्याणकारी योजनाएं नहीं रोकी जाएंगी। लाड़ली बहना योजना में हर महीने 1543 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा रही है, और अब इस महीने 317.50 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि बहनों के खातों में जाएगी।
अब तक का कर्ज – किस तारीख को कितना?
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7 मई: दो किश्तों में 5000 करोड़ (12 और 14 साल के लिए)
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4 जून: दो किश्तों में 4500 करोड़ (16 और 18 साल के लिए)
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8 जुलाई: 4800 करोड़
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30 जुलाई: 4300 करोड़ (17 और 23 साल के लिए)
रेवेन्यू सरप्लस की स्थिति क्या कहती है?
हालांकि कर्ज का आंकड़ा बड़ा है, लेकिन सरकार का दावा है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति स्थिर है। वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य ने 12487 करोड़ का रेवेन्यू सरप्लस दिखाया है। वर्ष 2024-25 की रिवाइज्ड आमदनी और खर्च का अंतर 1025 करोड़ के सरप्लस में है, जो यह बताता है कि सरकार अपनी वित्तीय जवाबदेही के प्रति सजग है, और योजनाएं सिर्फ उधारी पर नहीं, बल्कि आय और नियंत्रणित खर्च के आधार पर चल रही हैं।