जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद, उपराष्ट्रपति की कुर्सी एक बार फिर सुर्खियों में है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद, निर्वाचन आयोग ने इस संवेदनशील पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। अगले कुछ ही दिनों में चुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने संभावित प्रत्याशियों को लेकर मंथन में जुट गए हैं।
भाजपा इस बार उपराष्ट्रपति पद पर ऐसा चेहरा लाना चाहती है, जो न सिर्फ पार्टी की विचारधारा से जुड़ा हो बल्कि जातीय और राजनीतिक समीकरणों में भी संतुलन बिठा सके। इसी संदर्भ में सबसे मजबूत नाम थावरचंद गहलोत का सामने आ रहा है। वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल गहलोत पहले केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में नेता रह चुके हैं। वे मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं और दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि उनका प्रशासनिक अनुभव और संगठन में लंबे समय तक सक्रिय भूमिका उन्हें एक उपयुक्त विकल्प बनाता है।
वहीं, सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का नाम भी चर्चा में है। माथुर राजस्थान से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं। पार्टी संगठन में उनका लंबा अनुभव और संघ की पृष्ठभूमि उनके पक्ष में जाती है।
सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बार किसी सहयोगी दल को यह पद देने के पक्ष में नहीं है। पार्टी चाहती है कि उम्मीदवार का चयन पूरी तरह उसकी नीति और प्राथमिकताओं के आधार पर हो। हालांकि, यदि एनडीए में किसी नाम को लेकर सहमति नहीं बन पाई तो उपसभापति हरिवंश का नाम एक विकल्प के रूप में सामने आ सकता है। हरिवंश पहले से ही इस पद पर कार्य कर चुके हैं और उन्हें जदयू के कोटे से राज्यसभा में भेजा गया था।
विपक्ष भी उतारेगा दमदार चेहरा
विपक्ष इस बार कोई हल्का उम्मीदवार नहीं उतारना चाहता। 2022 के राष्ट्रपति चुनाव और संसद में लगातार हो रही हलचल को देखते हुए कांग्रेस, टीएमसी, आप और अन्य दलों के बीच एक साझा और मज़बूत प्रत्याशी को लाने पर चर्चा हो रही है। ऐसे में यह चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि राजनीतिक टकराव का अहम मोर्चा बन सकता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव — प्रक्रिया क्या है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष प्रक्रिया के तहत होता है जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य भाग लेते हैं। इस चुनाव में जनता सीधे वोट नहीं देती, बल्कि सांसद ही मतदाता होते हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना जारी की जाती है, जिसमें नामांकन, मतदान और परिणाम की तिथियाँ होती हैं।
उम्मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करने के लिए कम से कम 20 सांसदों का प्रस्तावक और 20 सांसदों का समर्थन पत्र देना होता है। इसके बाद सीमित दायरे में प्रचार होता है, क्योंकि सिर्फ सांसद ही मतदाता होते हैं। मतदान के दिन, सांसद गुप्त मतपत्र पर अपनी प्राथमिकता के अनुसार अंकित कर वोट देते हैं। 50% से अधिक वैध मत प्राप्त करने वाला प्रत्याशी विजयी घोषित किया जाता है।
इस्तीफा क्यों बना खबर?
21 जुलाई की रात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 दिन बाद उनके इस्तीफे को मंजूरी दी। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, ऐसे में यह फैसला अप्रत्याशित और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।