एसईआईएए में पर्यावरणीय मंजूरी घोटाले की गूंज: चेयरमैन बोले- खनन माफिया से सांठगांठ, प्रमुख सचिव और सचिव पर एफआईआर की सिफारिश!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश की पर्यावरणीय मंजूरी प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राज्य की स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (एसईआईएए) के चेयरमैन एस.एन. चौहान ने एक चौंकाने वाला आरोप लगाते हुए खुद राज्य के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और एप्को की डायरेक्टर एवं सिया सचिव उमा आर. महेश्वरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश कर दी है। चौहान ने यह सिफारिश सीधे राज्य के मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखकर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इन अधिकारियों ने नियमों की अवहेलना कर खनन और निर्माण से जुड़े 450 मामलों में पर्यावरणीय मंजूरी दी, जबकि खुद सिया की बैठकें महीनों से रोकी जा रही हैं।

चौहान का आरोप है कि सिया की नियमित बैठकें न बुलाकर एप्को और पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने चयनात्मक तरीके से—पिक एंड चूज पैटर्न पर—237 मंजूरियां जारी कर दीं, जिनमें से 200 से अधिक केस खनिज विभाग से संबंधित हैं। खास बात यह है कि जिन फाइलों को तत्काल मंजूरी मिल गई, वे खनन और निजी निर्माण से जुड़ी हैं, जबकि सिंहस्थ 2028 जैसे अहम धार्मिक और सार्वजनिक हितों के प्रोजेक्ट लंबित रख दिए गए हैं।

घटना 23 मई की है, जब एप्को की डायरेक्टर उमा महेश्वरी मेडिकल लीव पर थीं और उनका अस्थायी प्रभार श्रीमन शुक्ला को दे दिया गया था। शुक्ला ने एक ही दिन बाद, ईआईए नोटिफिकेशन के पैरा-8 की कंडिका iii का हवाला देकर दावा किया कि चूंकि 45 दिन से अधिक समय बीत चुका है और सिया की ओर से निर्णय नहीं लिया गया है, इसलिए यह डीम्ड अप्रूवल मानकर 450 मामलों को पास कर दिया गया। चौहान ने इसे स्पष्ट रूप से गैर-कानूनी और नियमविरुद्ध बताया है।

एसएन चौहान ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने एप्को की कार्यप्रणाली और पर्यावरण विभाग में फैली अराजकता को लेकर 50 से अधिक बार लिखित आपत्ति दर्ज की है, लेकिन शासन स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुमोदन के नाम पर डीम्ड अप्रूवल की प्रक्रिया में कूटरचना और असत्य व्याख्या की गई है, जो कि सीधे-सीधे पर्यावरण संरक्षण कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार का संकेत है।

उधर इस पूरे मामले में प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी ने अपनी सफाई में कहा है कि सभी मंजूरियां कानूनी प्रक्रिया के तहत दी गई हैं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस विवादित पत्र की जानकारी नहीं है। वहीं एप्को डायरेक्टर उमा आर. महेश्वरी ने चेयरमैन चौहान पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा कि सभी दस्तावेज शासन को भेज दिए गए हैं, और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है।

एसएन चौहान ने इस विवाद को यहीं तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र भेजकर मध्यप्रदेश में पर्यावरणीय कानूनों के उल्लंघन और प्रशासनिक मिलीभगत का मामला उजागर किया है। यह स्पष्ट रूप से संकेत करता है कि आने वाले समय में इस प्रकरण की जांच राष्ट्रीय स्तर पर हो सकती है, और कई बड़े अधिकारी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

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