जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
अहमदाबाद में 12 जून को हुए एअर इंडिया के भीषण विमान हादसे के बाद अब विमानन कंपनी पर पीड़ित परिवारों के साथ अमानवीय व्यवहार के आरोप लगने लगे हैं। इस हादसे में 270 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकांश यात्री और मेडिकल हॉस्टल के निवासी शामिल थे। अब इस दर्दनाक हादसे को लेकर ब्रिटेन की प्रतिष्ठित लॉ फर्म ‘स्टीवर्ट्स’ ने एअर इंडिया पर मुआवज़ा देने से बचने और संवेदनशील जानकारी जुटाकर कानूनी अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश का आरोप लगाया है।
पीड़ित परिवारों को फॉर्म भरने का दबाव, संवेदनशील जानकारी की माँग
एडवोकेट पीटर नीनन के अनुसार, एअर इंडिया जानबूझकर पीड़ितों से ऐसे दस्तावेज मांग रही है जो अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ हैं। एयरलाइन मुआवजे से पहले संवेदनशील वित्तीय जानकारी और पारिवारिक दस्तावेज मांग रही है, जिससे भविष्य में मुआवजा राशि को कम किया जा सके। इतना ही नहीं, परिजनों को फॉर्म भरने के लिए दबाव डाला गया और उन्हें धमकी दी गई कि जब तक फॉर्म नहीं भरेंगे, मुआवजा नहीं मिलेगा।
नीनन ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया अनैतिक और अपमानजनक है। उनका दावा है कि एअर इंडिया इस रणनीति के ज़रिए करीब ₹1,050 करोड़ बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की माँग की है और परिजनों को फॉर्म न भरने की सलाह दी है।
एअर इंडिया ने आरोपों को नकारा, औपचारिकता का हवाला
एअर इंडिया ने इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि मुआवज़ा सही व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए सिर्फ औपचारिक पहचान की प्रक्रिया अपनाई गई है। एयरलाइन ने कहा कि कई पीड़ित परिवारों को अंतरिम मुआवजा भी मिल चुका है और सभी औपचारिकताएं समझदारी और सहूलियत के साथ की जा रही हैं।
हादसे की भयावहता: 270 लोगों की गई जान
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद मेडिकल हॉस्टल की बिल्डिंग पर जा गिरी थी। हादसे के वक्त विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा। विमान के नीचे हॉस्टल में रह रहे 29 मेडिकल छात्र भी इस हादसे में मारे गए। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी इस विमान में सवार थे और इस हादसे में उनका भी निधन हो गया।
बता दें, फ्लाइट का आखिरी सिग्नल केवल 190 मीटर (625 फीट) की ऊंचाई पर आया था। पायलट ने उड़ान भरते ही ‘मेडे कॉल’ यानी इमरजेंसी संदेश भेजा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। हादसे की प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया कि पायलट और को-पायलट दोनों अनुभवी थे, लेकिन इसके बावजूद विमान तकनीकी कारणों से नीचे गिरा।
वहीं, भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने हादसे के बाद एअर इंडिया पर बड़ी कार्रवाई की। कंपनी के तीन वरिष्ठ अधिकारी — डिविजनल वाइस प्रेसिडेंट चूड़ा सिंह, क्रू शेड्यूलिंग की चीफ मैनेजर पिंकी मित्तल और रोस्टरिंग हेड पायल अरोड़ा को उनके पदों से हटाने का आदेश दिया गया। ये अधिकारी एविएशन सेफ्टी प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन के दोषी पाए गए।
हादसे के 8 दिन बाद पार्टी, 4 कर्मचारियों को इस्तीफा देना पड़ा
इस हादसे के महज आठ दिन बाद एअर इंडिया के AISATS ग्राउंड स्टाफ का पार्टी करते हुए वीडियो वायरल हुआ। इसके बाद एयरलाइन ने चार कर्मचारियों से इस्तीफा देने को कहा। बयान जारी कर कहा गया कि कंपनी ऐसी अमानवीयता को बर्दाश्त नहीं करेगी और पीड़ित परिवारों के साथ संवेदना के साथ खड़ी है।