हेल्थ स्पेशल: मई की चिलचिलाती गर्मी में बच्चों पर कहर बनकर टूट रही हैं बीमारियां – जानिए कैसे रखें अपने बच्चों को सुरक्षित

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मई का महीना अपनी चरम पर है। तापमान हर दिन नए रिकॉर्ड तोड़ रहा है और इसी के साथ गर्मी का प्रकोप छोटे बच्चों की सेहत पर कहर बनकर टूट रहा है। अस्पतालों की ओपीडी से लेकर वार्ड तक, हर जगह उल्टी-दस्त, डायरिया, डिहाइड्रेशन और बुखार से पीड़ित मासूमों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। यह लापरवाही या सामान्य मौसम नहीं—बल्कि एक चेतावनी है, खासतौर पर उन माता-पिता के लिए जो गर्मी के मौसम में भी बच्चों के खानपान और साफ-सफाई को हल्के में लेते हैं।

गर्मी में डायरिया सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। बच्चों में यह बीमारी सामान्य दिखती है, लेकिन इसके पीछे छुपा खतरा जानलेवा साबित हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि हर साल लाखों बच्चे डायरिया की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में यह बीमारी सबसे ज्यादा घातक साबित होती है क्योंकि उनका शरीर डिहाइड्रेशन को जल्दी झेल नहीं पाता।

बच्चे बाहर खेलते वक्त या घर में भी गंदे खिलौनों को मुंह में डाल लेते हैं, गंदे हाथों से खाना खा लेते हैं और साफ पानी न मिलने पर बैक्टीरिया और वायरस पेट में चले जाते हैं। इसी के चलते गर्मियों में डायरिया और पेट की अन्य बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कमजोर इम्यून सिस्टम और साफ-सफाई की अनदेखी, इन बीमारियों को खुला निमंत्रण देती हैं।

नवजात बच्चों के लिए यह मौसम और भी खतरनाक होता है। गर्म हवा, बंद कमरा, सीधी धूप और नमी भरा वातावरण उन्हें तुरंत बीमार कर सकता है। डॉक्टरों की मानें तो 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। यह उनका खाना, पानी और दवा सब कुछ होता है। ऐसे समय में बच्चों को हवादार और साफ कमरों में रखें, एसी या कूलर की सीधी हवा से बचाएं और हल्के सूती कपड़े पहनाएं। डायपर समय पर बदलें, नहलाते समय गुनगुने या सामान्य पानी का इस्तेमाल करें और साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

बच्चे जब स्कूल जाते हैं, तो वहां पर भी हाइड्रेशन की चुनौती बनी रहती है। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें साफ पानी की भरपूर मात्रा दी जाए और बोतल हमेशा साथ भेजी जाए। बच्चों को पानी पीने की आदत डालें। गर्मियों में डिहाइड्रेशन चुपचाप शरीर को कमजोर करता जाता है और फिर अचानक बुखार, सुस्ती, चक्कर आना, लगातार रोना जैसे लक्षण सामने आते हैं। ये संकेत हैं कि बच्चा डिहाइड्रेशन या किसी गंभीर संक्रमण की चपेट में है।

इस मौसम में खानपान की अहमियत और भी बढ़ जाती है। बच्चों को हल्का, ताजा और आसानी से पचने वाला खाना दें। दाल-चावल, खिचड़ी, सब्जी-रोटी जैसी चीजें सबसे बेहतर हैं। बासी खाना या बाहर के फास्ट फूड से दूर रखें। उनके आहार में तरबूज, खरबूजा, आम, ककड़ी, खीरा जैसे ताजे फल शामिल करें जो शरीर को ठंडक भी देंगे और पानी की कमी भी नहीं होने देंगे।

ज्यादा मिर्च-मसाले वाला, तला-भुना और ऑयली खाना बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे पेट की गर्मी और एसिडिटी बढ़ती है, जो डायरिया जैसी समस्याओं को जन्म देती है।

समय रहते सावधानी बरती जाए तो इन बीमारियों से बच्चों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन अगर बच्चों में सुस्ती, दूध पीने से इनकार, लगातार पसीना आना, आंखों का अंदर धंसना या बार-बार दस्त जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्मी का मौसम हर साल आता है, लेकिन सतर्कता, स्वच्छता और सही खानपान से हम अपने बच्चों को इस प्रकोप से बचा सकते हैं। यह सिर्फ एक जानकारी नहीं, एक जरूरी चेतावनी है — ताकि कोई बच्चा लापरवाही की भेंट न चढ़े।

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