जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और व्यापारिक नगरी इंदौर की मेट्रो परियोजना इन दिनों विवादों के केंद्र में है। वजह है — तुर्किए (तुर्की) की एक निजी कंपनी ‘असिस गार्ड’ जिसे भोपाल और इंदौर मेट्रो स्टेशनों पर ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFCS) लगाने का जिम्मा सौंपा गया है। अब इस कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं कि इसके बनाए हुए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किए जा चुके हैं। यह मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ चुका है और सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
दरअसल, ‘असिस गार्ड’ कंपनी को वर्ष 2024 में इंटरनेशनल टेंडर के जरिए चुना गया था। कंपनी ने कुल 53 स्टेशनों (भोपाल और इंदौर के पहले फेज) पर किराया वसूली का आधुनिक ऑटोमैटिक सिस्टम लगाने के लिए 186.52 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी, जो सबसे कम थी। अन्य कंपनियों में एनईसी कॉर्पोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और शेलिंग फॉस्क ग्लोबल डिजिटल टेक्नोलॉजी शामिल थीं, जिन्होंने क्रमशः 204.57 करोड़ और उससे अधिक की बोली लगाई थी। इसके आधार पर ‘असिस गार्ड’ को ठेका मिल गया और कंपनी ने सिस्टम इंस्टॉल करना भी शुरू कर दिया।
अब क्यों बढ़ा विवाद?
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में सामने आया कि पाकिस्तान ने 9 और 10 मई को भारत पर जो सशस्त्र ड्रोन लॉन्च किए थे, वे ‘असिस गार्ड’ के बनाए हुए ‘सोंगर ड्रोन’ थे। यह ड्रोन तुर्किए की राजधानी अंकारा स्थित इसी कंपनी द्वारा निर्मित है। इन ड्रोन में ग्रेनेड लॉन्चर और मोर्टार जैसे घातक हथियार लगे होते हैं, और ये 5 किलोमीटर के दायरे में प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं।
वहीं, 19 मई को शाम 6:58 बजे, नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट कर इस पूरे मामले को सार्वजनिक किया। उन्होंने लिखा — “राष्ट्र सर्वोपरि है, भारत विरोधी मानसिकता का कोई स्थान नहीं है। यदि किसी कंपनी का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारत विरोधी तत्वों से संबंध है, तो उसका अनुबंध तत्काल रद्द किया जाएगा।” उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में गहन जांच के आदेश भी दिए हैं।
इस पूरे विवाद के बीच सबसे बड़ी चुनौती यह है कि 31 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंदौर मेट्रो के कॉमर्शियल रन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाने जा रहे हैं। ऐसे में परियोजना को रोकना या कंपनी से अनुबंध रद्द करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। मेट्रो कॉरपोरेशन के अफसरों के अनुसार, यदि कंपनी से अनुबंध समाप्त किया जाता है, तो मैन्युअल टिकट प्रणाली अपनानी पड़ेगी। इसके लिए अलग से स्टाफ की जरूरत पड़ेगी और सुरक्षा व निगरानी की व्यवस्था भी नए सिरे से करनी होगी।
अब तक कहां तक पहुंचा काम?
भोपाल में सुभाष नगर, केंद्रीय स्कूल, डीबी मॉल, एमपी नगर और रानी कमलापति स्टेशन पर ‘असिस गार्ड’ द्वारा गेट लगाए जा चुके हैं। वहीं डीआरएम तिराहा, अलकापुरी और एम्स स्टेशन पर काम जारी है। इंदौर में गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर-3 तक 5 स्टेशनों पर सिस्टम इंस्टॉल हो चुका है। कुल मिलाकर पहले फेज के 53 स्टेशनों पर कंपनी काम कर रही है और किराया वसूली, गेट खोलने की प्रक्रिया, स्मार्ट कार्ड सिस्टम और उसके रखरखाव का जिम्मा भी इसी कंपनी के पास है।