जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने सियाल और बगलिहार बांध के गेट बंद कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान जाने वाला चिनाब का पानी रुक गया है। नतीजतन पाकिस्तान में चिनाब नदी का जलस्तर 24 घंटे में 7 फीट घट गया है, जो पहले 22 फीट था और अब मात्र 15 फीट रह गया है। इस गिरते जलस्तर ने पाकिस्तान में जल संकट की घंटी बजा दी है, और अगर यही हाल रहा तो अगले 4 दिन में पंजाब प्रांत के 24 बड़े शहरों में 3 करोड़ से अधिक लोगों को पीने के पानी की भारी किल्लत झेलनी पड़ सकती है। फैसलाबाद और हाफिजाबाद जैसे घनी आबादी वाले शहरों की 80% आबादी चिनाब के सतही जल पर निर्भर है। सिंधु जल प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि भारत के इस कदम से खरीफ की फसलों के लिए पानी में 21% की कमी हो सकती है। यह मामला सिर्फ पानी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब पाकिस्तान की संसद और राजनीति इसे “युद्ध की कार्रवाई” कह रही है।
इस मुद्दे पर पाकिस्तान के कई नेताओं ने भारत को खुली धमकियां दी हैं। बिलावल भुट्टो ने तो यहां तक कह दिया कि “या तो सिंधु दरिया में हमारा पानी बहेगा या फिर उनका खून!” वहीं विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 4 मई को कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर कोई और डैम बनाया तो पाकिस्तान उस पर हमला करेगा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी भारत पर आक्रामक रुख अपनाने और युद्ध भड़काने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसमें 6 नदियों के जल वितरण का समझौता हुआ था। भारत को रावी, ब्यास और सतलुज जैसी पूर्वी नदियों का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी नदियों के जल का उपयोग करने की अनुमति दी गई। लेकिन हाल ही में भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद इस समझौते को रोक दिया है और पश्चिमी नदियों के पानी के प्रवाह को सीमित करने का फैसला लिया है।
भारत के इस कदम का पाकिस्तान पर सीधा असर पड़ने जा रहा है। एक तरफ वहां की खेती का 80% हिस्सा सिंधु, झेलम और चिनाब पर निर्भर है, वहीं दूसरी ओर बिजली उत्पादन में भी गिरावट आएगी क्योंकि पाकिस्तान इन नदियों पर आधारित कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। ऐसे में न केवल जल संकट, बल्कि आर्थिक, औद्योगिक और सामाजिक संकट भी पाकिस्तान को घेर सकता है।