जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश सरकार अब अपने प्रशासनिक तंत्र को अधिक प्रभावी, आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। वित्त विभाग ने सोमवार को सभी सरकारी विभागों में नए वाहनों की खरीदी और किराए पर लेने को लेकर नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस गाइडलाइन के अनुसार अधिकारी अपनी ग्रेड के अनुसार 7 से 18 लाख रुपये तक के वाहन खरीद सकेंगे, जिनमें पेट्रोल, डीजल, सीएनजी के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को भी सम्मिलित किया गया है।
इस फैसले से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार अब ईको-फ्रेंडली और टिकाऊ ट्रांसपोर्ट विकल्पों को प्राथमिकता देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। साथ ही, आवश्यकता अनुसार विभाग वाहन किराये पर भी ले सकेंगे, जिससे संसाधनों का अधिकतम और लचीला उपयोग सुनिश्चित होगा।
वित्त विभाग ने साफ किया है कि हर विभाग को तय फॉर्मेट में वाहन की आवश्यकता और बजट की जानकारी देते हुए प्रस्ताव भेजना होगा। इसके बाद वित्त विभाग की अनुमति से ही खरीदी की जा सकेगी, जिससे व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहेगी। वहीं जिन वाहनों ने 15 साल की सेवा पूरी कर ली है, उन्हें केंद्र सरकार की स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत हटाकर प्रमाणपत्र दिखाना होगा, तब ही नए वाहन खरीदे जा सकेंगे। यह एक सुनियोजित कदम है, जिससे पुराने और अनुपयोगी वाहनों को हटाकर आधुनिक और सुरक्षित संसाधनों का उपयोग हो सकेगा।
जहां एक ओर यह नीति प्रशासनिक कार्यप्रणाली को स्मार्ट और समयबद्ध बनाएगी, वहीं दूसरी ओर यह पर्यावरण की रक्षा और ऊर्जा संरक्षण की दिशा में भी एक मजबूत पहल साबित हो सकती है।
हालांकि सरकार पर इस समय 4.26 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, फिर भी अधिकारियों को समय पर संसाधन उपलब्ध कराकर जनसेवा की गति बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। हाल ही में कर्मचारियों को भत्तों में वृद्धि और वेतन नीति में पारदर्शिता के लिए उठाए गए कदम भी इसी दिशा में हैं।