जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी और भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर दी। यह याचिका विस्फोट में मारे गए एक पीड़ित के पिता निसार अहमद द्वारा 2017 में दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि अब यह मामला ट्रायल कोर्ट में अंतिम चरण में है और एनआईए कोर्ट ने 19 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस याचिका पर आगे विचार नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए स्पष्ट किया कि जब ट्रायल कोर्ट द्वारा जल्द फैसला सुनाया जाना है, तब उच्चतम न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक धमाका हुआ था, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित कुल सात आरोपी हैं। मामले की जांच एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा की जा रही है और अब तक 108 गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है। बता दें, प्रज्ञा ठाकुर को अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी। उस समय कोर्ट ने माना था कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं, वह महिला हैं और आठ साल से ज्यादा समय जेल में बिता चुकी हैं। साथ ही उनके गंभीर स्वास्थ्य कारण, जैसे ब्रेस्ट कैंसर और चलने-फिरने में असमर्थता को ध्यान में रखते हुए उन्हें राहत दी गई थी।
इस केस में फैसला 8 मई को आ सकता है। प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने कोर्ट को बताया कि सभी आरोपियों को फैसला सुनने के लिए कोर्ट में मौजूद रहने को कहा गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस केस की सुनवाई कर रहे विशेष जज ए.के. लाहोटी का तबादला प्रस्तावित है, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें 31 अगस्त तक उसी कोर्ट में बने रहने की अनुमति दी है ताकि वे इस संवेदनशील मामले में फैसला सुना सकें।