जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक बड़ा मोड़ आ चुका है। केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाते हुए 1960 में हुई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला लिया है। यह निर्णय उस वक्त लिया गया जब कश्मीर के पहलगाम इलाके में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 26 निर्दोष टूरिस्टों की निर्मम हत्या कर दी। इस हमले में एक नेपाली नागरिक भी मारा गया, जबकि 10 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। बैसरन घाटी में हुए इस हमले के बाद से पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई।
हमले के ठीक बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, NSA अजित डोभाल समेत शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। मीटिंग में पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए पांच बड़े निर्णय लिए गए, जिनमें सबसे अहम था सिंधु जल संधि का निलंबन।
सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ था, जब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस पर हस्ताक्षर किए थे। समझौते के तहत रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर भारत का पूरा अधिकार है, जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम पर पाकिस्तान को प्राथमिकता दी गई थी। लेकिन अब, भारत ने साफ कह दिया है कि “अच्छे रिश्तों के बिना कोई भी संधि टिक नहीं सकती।”
जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को एक कड़ा पत्र भेजते हुए संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत इसमें संशोधन की मांग रखी है। भारत ने यह भी बताया कि समय के साथ जनसंख्या, सुरक्षा खतरे और आतंकवाद के चलते अब इस संधि की मूल भावना ही खतरे में पड़ चुकी है। पाकिस्तान की तरफ से न तो कोई प्रतिक्रिया आई, न ही सीमा पार आतंकवाद पर कोई लगाम लगी। ऐसे में भारत ने अब अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।
इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग कर पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से निकालने के निर्देश दिए। वहीं, आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी खुद श्रीनगर पहुंचे और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की। इसके बाद वे सीधे उस बैसरन घाटी पहुंचे जहाँ हमला हुआ था।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान ने इस कदम को ‘एक्ट ऑफ वॉर’ यानी युद्ध की घोषणा जैसा बताया है। इस्लामाबाद में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NCS) की बैठक के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित करने का ऐलान कर दिया है। इसमें 1972 का शिमला समझौता भी शामिल है। पाकिस्तान ने यह तक कह दिया कि अगर भारत सिंधु जल रोकता है, तो इसे सीधी जंग माना जाएगा।