जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल स्थित RCVP नरोन्हा प्रशासन अकादमी में 21 अप्रैल को आयोजित सिविल सेवा दिवस समारोह 2025 ने न केवल मध्यप्रदेश प्रशासन के उत्कृष्ट सेवाभाव को रेखांकित किया, बल्कि “Minimum Government, Maximum Governance” के मंत्र को साकार करने वाले लोक सेवकों के समर्पण को भी सम्मानित किया। इस गरिमामयी अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव संजय दुबे सहित प्रशासनिक तंत्र की शीर्ष हस्तियां मौजूद रहीं।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रेरणादायक उद्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने प्रशासनिक सेवा को राष्ट्र निर्माण की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि जैसे चाणक्य ने चंद्रगुप्त को नेतृत्व सौंपा और स्वयं पीछे रहकर एक विजनरी की भूमिका निभाई, वैसे ही हमारे लोक सेवकों की जिम्मेदारी है कि वे नीति-निर्माताओं के विजन को ज़मीन पर उतारें। उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि जिन अधिकारियों ने नवाचार किए हैं, उनके कार्यों का संकलन एक प्रेरक दस्तावेज के रूप में तैयार किया जाना चाहिए।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने सिविल सेवकों से सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्शों — डिग्निटी, इंटीग्रिटी और कमिटमेंट — को आत्मसात करने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं से कहा कि 2047 तक विकसित भारत और विकसित मध्यप्रदेश के लक्ष्य को पाने में सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रशासनिक सेवाएं केवल फाइलों और दफ्तरों तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम हैं।
समारोह के दौरान ‘मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार’ के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में नवाचार, जनसेवा, पारदर्शिता और प्रभावी शासन के लिए चुने गए डेढ़ दर्जन से अधिक अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार केवल एक प्रशंसा नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा हैं कि जब नीयत साफ हो और दृष्टिकोण जनहित में हो, तो असाधारण परिणाम संभव हैं।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने बताया कि इन पुरस्कारों के लिए बीते दो वर्षों में किए गए कार्यों का गहन मूल्यांकन किया गया है। चयन समिति ने निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से योग्य अधिकारियों को चयनित किया है, जिनके कार्य आने वाले समय में अन्य जिलों और विभागों के लिए आदर्श बनेंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि हम डिजिटल युग की दिशा में पूर्ण रूप से अग्रसर हों। उन्होंने यह संकेत भी दिया कि भविष्य में पुरस्कार स्वरूप चेक की जगह डिजिटल ट्रांसफर को अपनाया जाएगा, जिससे समय की बचत के साथ पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।