जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश ने अब विकराल रूप ले लिया है। रविवार सुबह रामबन जिले के सेरी बागना इलाके में बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग और घर इसकी चपेट में आ गए। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बादल फटते ही इलाके में अचानक भयंकर बाढ़ आ गई और पहाड़ों से मलबा तेजी से गांव की ओर बहकर आया। कई घर इस मलबे में दब गए। फिलहाल मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, राहत दल मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश में जुटा हुआ है।
उधर, रामबन के बनिहाल इलाके में कई जगह लैंडस्लाइड की घटनाएं हुई हैं, जिससे जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पूरी तरह ठप हो गया है। यह हाइवे कश्मीर घाटी की जीवनरेखा माना जाता है, लेकिन भूस्खलन के कारण दोनों ओर से सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं। किश्तवाड़-पद्दर मार्ग भी भूस्खलन के कारण बंद कर दिया गया है और स्थानीय प्रशासन ने लोगों से मौसम साफ होने तक यात्रा न करने की अपील की है।
भूस्खलन के भयावह दृश्य अब सोशल मीडिया पर भी सामने आ रहे हैं। कई वीडियो में पहाड़ से भारी मलबा गिरते हुए दिख रहा है, जो न केवल सड़कों को दबा रहा है बल्कि रिहायशी इलाकों में भी तबाही मचा रहा है। एक वीडियो में तीन-चार टैंकर और कई वाहन मलबे में पूरी तरह दबी हुई नजर आ रही हैं। कई घरों और होटलों को नुकसान हुआ है। लोगों के सामने अचानक आई इस प्राकृतिक आपदा ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
सबसे चिंताजनक स्थिति धर्मकुंड गांव की है, जो चेनाब नदी के किनारे बसा है। यहाँ पर भीषण लैंडस्लाइड हुआ है, जिसमें 10 मकान पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं और 25 से अधिक घरों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने करीब 90 से 100 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। पुलिस और रेस्क्यू टीमें लगातार राहत कार्य में लगी हैं, लेकिन कठिन पहाड़ी परिस्थितियों और लगातार हो रही बारिश के कारण चुनौतियाँ लगातार बढ़ रही हैं।
उधमपुर जिले की सतैनी पंचायत में भी तेज बारिश और तूफान ने तबाही मचाई है। तेज हवाओं ने कई बड़े पेड़ उखाड़ फेंके, जिससे न केवल यातायात व्यवस्था चरमरा गई है बल्कि बिजली आपूर्ति भी पूरी तरह ठप हो चुकी है। पूर्व सरपंच पर्शोत्तम गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पंचायत का निरीक्षण किया है और इस तरह की तेज हवाएं पिछले 4-5 सालों में पहली बार देखी गई हैं।
इस पूरे संकट पर केंद्रीय मंत्री और उधमपुर से सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि वे रामबन और आसपास के हालात को लेकर लगातार प्रशासन के संपर्क में हैं। मंत्री ने बताया कि हाईवे पर ट्रैफिक पूरी तरह बंद है और जिला प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में दिन-रात जुटा हुआ है। उन्होंने रेस्क्यू अभियान में लगे अधिकारियों की सराहना की और कहा कि जरूरत पड़ी तो निजी संसाधनों से भी मदद दी जाएगी।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों में इस तरह की आपदा आई हो। 1 मई 2024 को कुपवाड़ा में भी लैंडस्लाइड और बाढ़ से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। डोडा, रियासी, किश्तवाड़ और रामबन जैसे जिलों में लगातार बारिश और भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। इस बीच, प्रशासन की कोशिश है कि अधिकतम लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जाए और सामान्य स्थिति बहाल की जा सके।