जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक बेहद रहस्यमयी और दुनिया से बिल्कुल कटी हुई जनजाति रहती है – सेंटिनली जनजाति। ये लोग हजारों सालों से न तो किसी से मिले हैं, न किसी के संपर्क में आए हैं। और अब, एक अमेरिकी यूट्यूबर की सनक ने इस जनजाति के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है।
कौन है यह यूट्यूबर और क्या किया उसने?
24 साल का मिखायलो विक्टोरोविच पोलियाकोव, अमेरिका के एरिजोना राज्य का रहने वाला है। वह एक यूट्यूबर है, जो दुनिया की सबसे अनोखी जगहों पर जाकर वीडियो बनाता है। लेकिन इस बार उसने जो किया, वह कानून के खिलाफ ही नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ भी माना जा रहा है।
29 मार्च को पोलियाकोव GPS नेविगेशन की मदद से भारत के प्रतिबंधित नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर जा पहुंचा। यह द्वीप भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है और यहां आम लोगों का जाना सख्त मना है।
डाइट कोक, नारियल और कैमरा लेकर पहुंचा ‘खोजी यूट्यूबर’
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, पोलियाकोव ने पहले दूर से बाइनोकुलर से द्वीप का सर्वे किया। फिर वह लगभग एक घंटे तक द्वीप पर रुका, सीटी बजाकर जनजाति के लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन कोई सामने नहीं आया। इसके बाद उसने डाइट कोक और एक नारियल वहां रखा, वीडियो शूट किया और रेत के कुछ नमूने लेकर लौट गया।
जब वह वापस लौट रहा था, तो एक स्थानीय मछुआरे ने उसे देख लिया और तुरंत प्रशासन को जानकारी दी। 31 मार्च को उसे पोर्ट ब्लेयर में गिरफ्तार कर लिया गया।
यूट्यूबर की हरकत ने किस खतरे को जन्म दिया?
पुलिस ने कहा कि पोलियाकोव ने ना सिर्फ भारतीय कानून का उल्लंघन किया, बल्कि उसने सेंटिनली जनजाति की सुरक्षा और जीवन को खतरे में डाल दिया। यह जनजाति बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग है और इनके पास बाहरी बीमारियों के लिए कोई इम्युनिटी नहीं है। यानि, अगर कोई मामूली बीमारी भी वहां पहुंच गई, तो पूरी जनजाति को खत्म कर सकती है।
पहले भी बना चुका था योजना, गहराई से की थी रिसर्च
पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई कि यह पोलियाकोव की पहली कोशिश नहीं थी। अक्टूबर और जनवरी में भी उसने इस द्वीप तक पहुंचने की योजना बनाई थी। उसने समुद्री स्थितियों, ज्वार-भाटे और द्वीप की दूरी पर काफी रिसर्च की थी। यानि ये कोई मासूम भूल नहीं थी, बल्कि एक पूर्व-नियोजित घुसपैठ थी।
अब उसे भारतीय अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है और 17 अप्रैल को फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर उसे 5 साल तक की जेल और भारी जुर्माना हो सकता है।
कौन हैं सेंटिनली जनजाति? क्यों हैं इतनी खास?
सेंटिनली जनजाति को दुनिया की सबसे अलग-थलग और रहस्यमयी जनजाति माना जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये लोग 60,000 से 70,000 साल पहले अफ्रीका से भारत के दक्षिणी हिस्से में पहुंचे मानव समूहों के वंशज हैं। इनकी जनसंख्या सैकड़ों में मानी जाती है, लेकिन सही आंकड़ा किसी को नहीं पता। ये लोग तीर-कमान से लैस होते हैं, कपड़े नहीं पहनते, जंगल में रहते हैं और किसी भी बाहरी इंसान को देखकर हमला कर देते हैं। इनकी भाषा, जीवनशैली, सामाजिक व्यवस्था और धार्मिक विश्वासों के बारे में आज भी कोई ठोस जानकारी नहीं है।
2018 में भी एक अमेरिकी नागरिक की मौत हुई थी
नवंबर 2018 में अमेरिका का एक युवा ईसाई मिशनरी जॉन एलन चौ इस द्वीप पर बाइबिल का संदेश लेकर पहुंचा था। उसने भी मछुआरों की मदद से नियमों को तोड़ा और द्वीप पर जाने की कोशिश की। पहले तो उसने दूर से जनजाति को देखा और डायरी में लिखा कि ये लोग नंगे हैं और उनके पास तीर-कमान हैं। 16 नवंबर की सुबह जब वह आखिरी बार द्वीप पर गया, तो सेंटिनली लोगों ने उस पर तीर चला दिए। एक तीर सीधा उसकी छाती में लगा और जनजाति के लोगों ने उसका शव घसीटकर रेत में दफना दिया। भारत सरकार ने तब साफ कहा था कि जनजाति को उनके हाल पर छोड़ देना ही सबसे सही फैसला है। इस द्वीप के 5 किलोमीटर के दायरे में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है।
क्या सेंटिनली जनजाति को कोई खतरा है?
जी हां, और वो खतरा है – बाहरी दुनिया से संपर्क। इन लोगों का इम्यून सिस्टम इतना कमजोर है कि आम खांसी-जुकाम भी इनके लिए जानलेवा हो सकता है। अगर ये लोग किसी बीमारी के संपर्क में आए, तो उनकी पूरी जनसंख्या खत्म हो सकती है। इसलिए भारत सरकार ने इन्हें पूरी तरह अलग-थलग रखने का फैसला किया है। यह सिर्फ उनकी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि मानव इतिहास के सबसे पुराने जीवित अध्याय को बचाए रखने की कोशिश भी है।