राममंदिर में ‘शुद्धिकरण’ का सियासी तूफान: ज्ञानदेव आहूजा की गंगाजल टिप्पणी से बवाल, BJP ने ठोका सस्पेंशन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

राजस्थान की राजनीति इन दिनों एक गंभीर और संवेदनशील विवाद के केंद्र में है। पूर्व विधायक और बीजेपी के वरिष्ठ नेता ज्ञानदेव आहूजा के राम मंदिर में गंगाजल छिड़कने वाले बयान ने राज्य में जातिगत तनाव, राजनीतिक विवाद और सामाजिक नाराजगी को एक बार फिर हवा दे दी है। इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ भाजपा की छवि को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि धार्मिक आस्था और सामाजिक समरसता के ताने-बाने को भी झकझोर कर रख दिया है।

विवाद की जड़: नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर दर्शन पर आपत्तिजनक टिप्पणी

6 अप्रैल को राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अलवर जिले के शालीमार स्थित श्रीरामलला मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद ज्ञानदेव आहूजा ने जूली को “हिंदू विरोधी” करार देते हुए कहा कि वे मंदिर को “अपवित्र” कर गए हैं। आहूजा ने घोषणा की कि वे रामलला मंदिर जाकर गंगाजल से “शुद्धिकरण” करेंगे।

7 अप्रैल को आहूजा मंदिर पहुंचे और गंगाजल छिड़क कर भगवान श्रीराम की मूर्ति की पुनः पूजा की। उन्होंने बयान दिया कि – “रामनवमी के दिन मंदिर में कांग्रेसियों को बुलाया गया था, जिससे मंदिर अपवित्र हो गया। मैं गंगाजल से इसे शुद्ध कर रहा हूँ।”

इस विवादास्पद बयान और कृत्य को लेकर भाजपा ने तुरंत संज्ञान लिया। भाजपा प्रदेश महामंत्री और सांसद दामोदर अग्रवाल ने नोटिस में स्पष्ट तौर पर लिखा कि आहूजा का यह व्यवहार पार्टी की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला और घोर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उन्होंने याद दिलाया कि श्रीराम मंदिर के शिलान्यास समारोह में पहली शिला दलित समाज के कामेश्वर चौपाल द्वारा रखी गई थी, जो भाजपा की सर्वसमावेशी सोच का प्रतीक है।

इस पूरे विवाद के बाद राज्य के कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने आहूजा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जयपुर के मानसरोवर स्थित उनके आवास पर विरोध प्रदर्शन करते हुए उनके नेमप्लेट पर कालिख पोत दी गई। वहीं, सीकर के अंबेडकर पार्क में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता सुनीता गिठाला ने सीकर में विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा – मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और सरकार को ज्ञानदेव आहूजा को गलती के लिए माफी मांगनी चाहिए। साथ ही स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी दलितों के प्रति क्या नीति है। इधर, अलवर के अंबेडकर सर्किल में भी जमकर नारेबाजी हुई और आहूजा का पुतला दहन किया गया।
 

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