जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
जबलपुर के ऑडिट विभाग में एक सनसनीखेज घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें बाबू संदीप शर्मा ने सरकारी तंत्र की आंखों में धूल झोंककर 7 करोड़ से अधिक की रकम गबन कर ली। सरकारी सैलरी सॉफ्टवेयर में हेरफेर से लेकर हाईकोर्ट के फर्जी आदेश तक, संदीप ने बेहद शातिर तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया। दिलचस्प बात यह है कि वह अपने विभाग प्रमुख से लेकर जिला कोषालय तक को धोखा देने में कामयाब रहा, और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
यह मामला तब उजागर हुआ जब वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर जिला कोषालय अधिकारी ने गहन जांच शुरू की। मामला इतना गंभीर निकला कि कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर 13 मार्च को ओमती थाना पुलिस में FIR दर्ज कराई गई। जांच में पता चला कि बाबू संदीप शर्मा ने अपने सीनियर अधिकारियों की आईडी और पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कर फर्जी बिल तैयार किए और सरकारी धन को अपने खातों में ट्रांसफर कर लिया।
लेकिन यह घोटाला यहीं तक सीमित नहीं था—संदीप ने हाईकोर्ट के फर्जी आदेशों का भी इस्तेमाल किया, जिससे उसने शासकीय विभागों से करोड़ों की राशि निकाल ली।
25 फरवरी से फरार, पुलिस को बना रहा है चकमा
जैसे ही मामला उजागर हुआ, संदीप शर्मा 25 फरवरी से लापता हो गया। पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी, लेकिन वह लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। सूत्रों के मुताबिक, वह ग्वारीघाट स्थित सुखसागर वैली में अपनी बहन के घर पर छिपा हुआ था। जब पुलिस वहां पहुंची, तब तक वह फरार हो चुका था।
पुलिस के मुताबिक, संदीप का मोबाइल बंद था, और वह नए सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था, जिससे उसकी ट्रैकिंग मुश्किल हो रही थी। जांच के दौरान पता चला कि वह जबलपुर में ही छिपा था, लेकिन जब तक पुलिस हरकत में आई, वह शहर से बाहर निकल चुका था।
7 करोड़ के घोटाले के बीच ‘आत्महत्या’ की धमकी!
जांच के बीच संदीप शर्मा के नाम से एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उसने अपने गुनाहों को कबूल किया और आत्महत्या करने की बात लिखी।
पत्र में लिखा था: “मैं संदीप शर्मा, पूरे होशो-हवास में यह पत्र लिख रहा हूं। जितने भी फर्जी बिल बने हैं, वह मैंने खुद बनाए हैं। इसमें किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी की कोई गलती नहीं है। मैंने सभी के साथ विश्वासघात किया है और अब इस गलती का प्रायश्चित करना चाहता हूं।”
संदीप ने यह भी लिखा कि वह अब कभी कार्यालय नहीं आएगा और उसने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी।
आगे लिखा था: “मेरे पास कोई रास्ता नहीं है, इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। इसमें किसी का दबाव नहीं है। गलती मेरी है और सजा भी मुझे ही मिलनी चाहिए।”
FIR के बाद बढ़ी जांच, भोपाल से पहुंची टीम
जैसे ही यह घोटाला सामने आया, पुलिस ने संयुक्त संचालक मनोज बरहैया, सीमा अमित तिवारी, प्रिया विश्नोई और अनूप कुमार सहित 5 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की। पुलिस के साथ ही भोपाल से एक उच्च स्तरीय जांच टीम जबलपुर पहुंची, जिसने इस घोटाले की गहराई से जांच शुरू की।
✅ अब तक की जांच में पता चला:
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संदीप ने 2021 में इस फर्जीवाड़े की शुरुआत की थी और चार साल में 7 करोड़ रुपए से अधिक गबन कर लिए।
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उसने अपने सीनियर अधिकारियों की आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग किया, जिससे वह बिना शक के फर्जी ट्रांजेक्शन करता रहा।
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2021 से पहले का कोई भी रिकॉर्ड पुलिस को नहीं मिला। माना जा रहा है कि यह डेटा भोपाल स्थित वित्त विभाग में मौजूद है, जिसकी जांच होनी बाकी है।
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घोटाले के चलते संयुक्त संचालक मनोज बरहैया को निलंबित कर दिया गया और भोपाल अटैच कर दिया गया।
ग्वारीघाट से जबलपुर रेलवे स्टेशन और फिर उत्तर प्रदेश भागने की आशंका
पुलिस को इनपुट मिला कि संदीप ग्वारीघाट से निकलने के बाद जबलपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और वहां से फरार हो गया। अब पुलिस उसकी तलाश में उत्तर प्रदेश रवाना होने की तैयारी कर रही है।
अब आगे क्या?
➡️ पुलिस संदीप शर्मा के मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल्स की जांच कर रही है।
➡️ नगर कोषालय के पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं, जिससे घोटाले की राशि और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
➡️ वित्त विभाग भोपाल में भी अन्य विभागों की जांच करेगा, ताकि पता चल सके कि कहीं अन्य विभागों में भी ऐसी गड़बड़ी तो नहीं हुई।