आस्था पर संकट! भगदड़ के बाद अब महाकुंभ में आग का कहर: 4 फरवरी तक कड़ी सुरक्षा, VVIP पास भी रद्द; गाड़ियों की रहेगी नो-एंट्री

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

प्रयागराज महाकुंभ मेला में एक के बाद एक घटनाओं ने प्रशासन और श्रद्धालुओं के होश उड़ा दिए। बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मचने से 30 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई थी और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, वहीं गुरुवार को मेला क्षेत्र के सेक्टर-22 में भीषण आग लग गई, जिसने मेले में एक और अफरा-तफरी का माहौल बना दिया।

बता दें, अचानक आग लगने से लगभग 15 टेंट जलकर राख हो गए। हालांकि फायर ब्रिगेड की टीम घटनास्थल पर पहुंची और तत्काल आग पर काबू पाया, लेकिन एक सवाल जो अब तक अनसुलझा है, वह है—आखिर आग लगी कैसे? इसी बीच राहत की बात यह रही कि आग की चपेट में आए टेंट्स में कोई जनहानि नहीं हुई, क्योंकि जहां आग लगी थी, वहां श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं थी।

यह पहली बार नहीं था, जब महाकुंभ मेला क्षेत्र में आग लगी। इससे पहले, 19 जनवरी को भी आग ने तबाही मचाई थी, जब शास्त्री ब्रिज के पास गीता प्रेस के कैंप में आग लग गई थी। वहां 180 कॉटेज जल गए थे।

एडवांस फायर सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद घटनाएँ!

जानकारी के लिए बता दें, महाकुंभ में आग की घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन ने 350 से ज्यादा फायर ब्रिगेड और 2000 से अधिक प्रशिक्षित मैनपावर तैनात किए हैं। इसके अलावा, 50 अग्निशमन केंद्रों और 20 फायर पोस्ट को भी लगाया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सके। वहीं, प्रशासन ने 4 अत्याधुनिक आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (LWT) तैनात किए हैं। इन टावरों में वीडियो-थर्मल इमेजिनिंग जैसे एडवांस सिस्टम लगे हैं, जिससे आग को पहचानने और बुझाने में मदद मिलती है। खासकर, बहुमंजिली और ऊंचाई वाले टेंटों की आग बुझाने में ये टावर काफी कारगर साबित हो सकते हैं। LWT टावर 35 मीटर तक की ऊंचाई पर जाकर आग बुझाने की क्षमता रखते हैं, जो मेले के विशाल और ऊंचे टेंट्स के लिए एक बड़ी राहत है। इतना ही नहीं, प्रशासन ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में अखाड़ों और टेंटों में फायर प्रोटेक्शन इक्विपमेंट भी लगाए हैं।

VVIP पास भी रद्द: क्या सुरक्षा कड़ी हो सकेगी?

वहीं, प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार को हुई भगदड़ के बाद आज भीड़ में कमी देखी जा रही है। भगदड़ के बाद प्रशासन ने महाकुंभ मेले में सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। अब मेले के मुख्य मार्गों को अलग-अलग कर दिया गया है और प्रयागराज शहर में वाहनों की प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित किया गया है, यानी यहां अब कोई भी वाहन प्रवेश नहीं कर सकता। यह आदेश 4 फरवरी तक लागू रहेगा, ताकि किसी भी प्रकार की भीड़ बढ़ने से बचा जा सके। सरकार ने इस बार VIP और VVIP पासों को भी रद्द कर दिया है।

DGP और मुख्य सचिव का निरीक्षण 

हालांकि, यूपी के DGP प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह मेला क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे हैं, लेकिन क्या उनके आने से सुरक्षा व्यवस्था में वाकई कोई बदलाव आएगा, यह देखना अभी बाकी है। इधर, सरकार ने 2019 में कुंभ में तैनात रहे दो अफसरों- IAS आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को तत्काल प्रयागराज बुलाया है, ताकि व्यवस्थाएं और बेहतर की जा सकें।

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका: क्या न्याय मिलेगा?

वहीं, इस हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें यूपी सरकार से घटना की स्टेटस रिपोर्ट और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

महाकुंभ के 18वें दिन, 1.77 करोड़ श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे

आपको बता दें, महाकुंभ का आज 18वां दिन है। आज शाम 4 बजे तक 1.77 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया है। 13 जनवरी से लेकर अब तक कुल 27.58 करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। कल मौनी अमावस्या (29 जनवरी) के अवसर पर लगभग आठ करोड़ लोगों ने स्नान किया था।

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