जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान आज अद्भुत आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बनकर पूरे संगम क्षेत्र में छा गया। सुबह 6:15 बजे से शुरू हुए इस शाही स्नान के दौरान संन्यासियों के हाथों में त्रिशूल और डमरू, शरीर पर भभूत और घोड़े की सवारी के साथ नागा साधु-संत संगम पहुंचे। “हर-हर महादेव” का उद्घोष करते हुए ये साधु-संत संगम में डुबकी लगाने के लिए आए, और यह दृश्य आस्था और श्रद्धा की एक अनुपम झलक प्रस्तुत कर रहा था। संगम पर उमड़ी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ ने इसे और भी दिव्य बना दिया। वहीं, महाकुंभ में पहली बार शाही स्नान के बजाय अमृत स्नान का नाम इस्तेमाल किया गया है।
आज ब्रह्म मुहूर्त से ही अखाड़ों के संत संगम में स्नान करने के लिए पहुंचे, जिससे यह दृश्य एक अद्वितीय श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बन गया। संगम के घाटों पर गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। दोपहर 2 बजे तक 2 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं।
इस ऐतिहासिक अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष कदम उठाए गए हैं। घाटों पर पहली बार ‘अंडर वाटर ड्रोन’ तैनात किया गया है, जो पानी के अंदर हर गतिविधि की निगरानी करता है। यह ड्रोन न केवल अंधेरे में भी अपनी सटीक निगरानी रखता है, बल्कि 100 मीटर गहराई तक जाकर पानी के भीतर की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए रखता है।
बता दें, जूना अखाड़े सहित 7 संन्यासी अखाड़ों के संत स्नान कर चुके हैं। अब वैरागी अखाड़ों के संत संगम में स्नान करने के लिए जा रहे हैं। वहीं, महाकुंभ में पहली बार शाही स्नान के बजाय अमृत स्नान का नाम इस्तेमाल किया गया है।
महाकुंभ के इस खास मौके पर अमृत स्नान के लिए कथा वाचक जया किशोरी, जगद्गुरु रामभद्राचार्य और भाजपा नेता साध्वी निरंजन ज्योति संगम पर पहुंचे हैं। इसके अलावा, एपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लारेन पॉवेल ने भी इस पावन अवसर पर संगम में स्नान किया। अभय चेतन फलाहारी उर्फ मौनी महाराज ने दंडवत परिक्रमा करते हुए संगम पहुंचे और स्नान किया।
यहां की वायुमंडल को और भी दिव्य बनाने के लिए, हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई, जिसमें 50 क्विंटल फूल संगम के भक्तों पर बरसाए गए। लाखों श्रद्धालुओं का रेला संगम के आस-पास, गंगा के किनारे और घाटों पर फैला हुआ है, और हर चेहरे पर विश्वास और श्रद्धा की चमक दिखाई दे रही है। महाकुंभ का यह दृश्य न केवल हमारे धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह पूरी दुनिया को भारत की सांस्कृतिक गहराई और हमारी आस्था के प्रति सम्मान का एक बड़ा संदेश भी देता है।