जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इंदौर-देवास रोड पर शुक्रवार को हालात इतने भयावह हो गए कि वहाँ करीब 32 घंटे तक 8 किलोमीटर लंबा भीषण जाम लगा रहा, जिसमें करीब 4 हजार वाहन फंस गए। इस जानलेवा जाम ने तीन निर्दोष जिंदगियां लील लीं। इंदौर के सैटेलाइट टाउनशिप, बिजलपुर निवासी 62 वर्षीय किसान कमल पांचाल, शुजालपुर के 55 वर्षीय कैंसर पीड़ित बलराम पटेल, और गारी पिपल्या गांव के 32 वर्षीय संदीप पटेल ने समय पर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ दिया। इनमें से दो को दिल का दौरा पड़ा, जबकि एक मरीज ऑक्सीजन खत्म होने के बाद तड़पता रहा और आख़िरकार उसकी सांसें थम गईं।
दरअसल, शुक्रवार को कमल पांचाल अपनी पत्नी, बेटे और बहू के साथ बहन की तेरहवीं में शामिल होने जा रहे थे। अर्जुन बड़ौदा के पास डायवर्शन के चलते भारी जाम लग गया। वहां करीब डेढ़ घंटे तक उनकी कार फंसी रही। इसी दौरान कमल को घबराहट हुई और वे तड़पने लगे। बेटे विजय ने कार को निकालने की भरसक कोशिश की, लेकिन चारों ओर वाहनों की इतनी भीड़ थी कि कार को हिलाना भी मुश्किल हो गया। जाम खुलने पर जैसे-तैसे उन्हें देवास के अस्पताल ले जाया गया, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार वालों का आरोप है कि जाम हटाने के लिए मौके पर कोई भी प्रशासनिक व्यवस्था नहीं थी, और इसी लापरवाही ने उनकी बहुमूल्य जिंदगी छीन ली।
गारी पिपल्या गांव के संदीप पटेल को गुरुवार शाम सीने में दर्द उठा था। उन्हें मांगलिया स्थित अस्पताल ले जाने निकले पर रेलवे ब्रिज निर्माण कार्य के कारण वहां भी जाम मिला। सिंगापुर टॉउनशिप की तरफ से निकलने की कोशिश की गई तो वहां भी जाम। कई घंटे बाद मांगलिया पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताई और इंदौर रेफर कर दिया। इंदौर लाते समय तलावली चांदा और देवास नाके के जाम में वे तीन घंटे फंसे रहे, और आखिरकार रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
इसी तरह शुजालपुर के बलराम पटेल जो कैंसर से पीड़ित थे, उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे इंदौर लाया जा रहा था। कार में दो सिलेंडर रखे थे, लेकिन देवास के बाद दो घंटे तक जाम में फंसने से ऑक्सीजन खत्म हो गई। परिवार ने हर संभव कोशिश की, लेकिन वाहन जाम से नहीं निकल सका। बलराम ने कार में ही दम तोड़ दिया। इतना ही नहीं, उनका शव लेकर लौटते वक्त भी परिवार को फिर से एक घंटे जाम में फंसा रहना पड़ा।
इन मौतों से गुस्साए किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर 10 दिन के भीतर इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ, तो वे इंदौर से देवास तक पदयात्रा करेंगे और मांगलिया, शिप्रा, डकाच्या, देवास नाका जैसे क्षेत्रों को बंद कर देंगे। किसान नेता हंसराज मंडलोई ने आरोप लगाया कि टोल कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर व्यासखेड़ी की सड़क बंद की गई, जिससे यह जाम रोज की मुसीबत बन गया है। उन्होंने मृतकों के परिवार को 50-50 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
इस बीच इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने मानसून सत्र को देखते हुए यातायात व्यवस्था को लेकर विभागों की बैठक ली और निर्देश दिए कि वर्षाकाल में किसी भी हाल में यातायात बाधित नहीं होना चाहिए। इसके साथ यह भी फैसला लिया गया कि इस दौरान चालानी कार्रवाई नहीं की जाएगी ताकि ट्रैफिक फ्लो में कोई अड़चन न आए।