जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में 10 मई को मंत्रालय वल्लभ भवन में आयोजित मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक के दौरान, विश्व की सबसे बड़ी भूजल पुनर्भरण परियोजना “ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज” को लेकर ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह परियोजना न केवल मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए जल संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना के बाद प्रदेश की तीसरी बड़ी अंतर्राज्यीय नदी परियोजना बताया है। परियोजना के तहत ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर जल की एक-एक बूंद का राष्ट्रहित में उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी।
परियोजना के तहत कुल 31.13 टीएमसी पानी का पुनर्भरण किया जाएगा, जिसमें से 11.76 टीएमसी पानी मध्यप्रदेश और 19.36 टीएमसी महाराष्ट्र को मिलेगा। परियोजना में एक भी गांव विस्थापित नहीं होगा और न ही किसी पुनर्वास की आवश्यकता पड़ेगी, जो इसे एक आदर्श पर्यावरणीय और सामाजिक मॉडल बनाता है।
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों की चार तहसीलें—बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा—इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगी। इस परियोजना से म.प्र. के 1,23,082 हेक्टेयर और महाराष्ट्र के 2,34,706 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की स्थायी सुविधा मिलेगी।
पूर्व में इसी परियोजना के लिए 66 टीएमसी जल भराव क्षमता का पारंपरिक बांध प्रस्तावित किया गया था, जिससे 73 गांवों की 14 हजार से अधिक आबादी और बाघ अभयारण्य की भूमि प्रभावित हो रही थी। अब सरकार ने इसका समाधान निकालते हुए पारंपरिक संरचना की बजाय भूजल पुनर्भरण पर आधारित इको-फ्रेंडली मॉडल को अपनाया है।
इस परियोजना में चार मुख्य जल संरचनाएं प्रस्तावित हैं:
-
खरिया गुटीघाट बांध स्थल पर लो डायवर्सन वियर (8.31 TMC जल भराव क्षमता)
-
दाई तट नहर प्रथम चरण – 221 किमी लंबी, जिससे म.प्र. में 55,089 हेक्टेयर में सिंचाई
-
बाई तट नहर प्रथम चरण – 135.64 किमी लंबी, म.प्र. में 44,993 हेक्टेयर में सिंचाई
-
बाईं तट नहर द्वितीय चरण – केवल महाराष्ट्र में 80,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई
मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने की भी बात कही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना नागपुर जैसे बड़े शहरों को पीने के पानी की स्थायी आपूर्ति और छिंदवाड़ा जैसे जिलों को सिंचाई जल उपलब्ध कराने में भी अहम भूमिका निभाएगी।