मध्यप्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में 71 जिलाध्यक्षों की सूची जारी की।
उज्जैन शहर में मुकेश भाटी को फिर से अध्यक्ष बना दिया गया,
लेकिन असली “महाभारत” उज्जैन ग्रामीण में मची…
जहाँ जिम्मेदारी विधायक महेश परमार को दे दी गई।
अब कांग्रेस कार्यकर्ता सोच रहे हैं —
“क्या पार्टी में पद बांटने के लिए एक ही नाम का एक्सेल शीट सेव है?”
प्रदेश कांग्रेस के सचिव हेमंत सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर खुलकर सवाल दागा:
👉 “क्या उज्जैन में महापौर, विधायक, पंचायत अध्यक्ष और अब जिलाध्यक्ष — सबके लिए बस एक ही व्यक्ति मिलता है?”
मतलब अब कार्यकर्ता लाइन में लगते रह गए, और पद गए “डायरेक्ट विधायक साहब के खाते में।”
दिल्ली तक दौड़, रायशुमारी तक की नाटकबाज़ी हुई, नामों की लिस्ट भी गई…
लेकिन आख़िर में वही पुराना फॉर्मूला — “पद वही पाएगा, जिसने माँगा भी नहीं!”
हेमंत सिंह का दर्द समझिए —
“दिनभर लाइन में खड़े रहो, रिपोर्ट में टॉप आओ…
फिर भी पद किसी और को मिल जाए।
लगता है कांग्रेस में मेहनत से ज़्यादा ‘मैजिक’ चलता है।”
अब कार्यकर्ताओं के मन में एक ही सवाल —
“क्या कांग्रेस के पास चुनाव लड़ाने के लिए एक ही कैंडिडेट पैकेज है,
जो हर मौके पर फिट बैठता है?”