मध्यप्रदेश कांग्रेस ने किए जिलाध्यक्षों के नाम तय, बदले समीकरणों पर सभी की नजर,,, 

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मध्यप्रदेश कांग्रेस ने किए जिलाध्यक्षों के नाम तय, बदले समीकरणों पर सभी की नजर,,,

 

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद 71 जिलों के अध्यक्षों की सूची जारी कर दी है। इसमें कई नए चेहरों को मौका मिला है तो कई पुराने नेताओं पर भरोसा जताया गया है। सबसे बड़ा संदेश साफ है – पार्टी संगठन को लोकसभा चुनाव और आगे की राजनीति को ध्यान में रखते हुए युवा, जातीय संतुलन और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश कर रही है।

खास बात है कि पास विधायकों को भी कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है
गुना – जयवर्धन सिंह (राघौगढ़ विधायक)
उज्जैन ग्रामीण – महेश परमार (तराना विधायक)
बालाघाट – संजय उईके (बैहर विधायक)
डिंडौरी – ओमकार सिंह मरकाम (डिंडौरी विधायक)
सतना ग्रामीण – सिद्धार्थ कुशवाह (सतना विधायक)

इंदौर में शहरी और ग्रामीण का संतुलन

इंदौर, जो की भाजपा का गढ़ माना जाता है, खास बात यह है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इंदौर से प्रभारी मंत्री हैं और कैलाश विजयवर्गीय का भी यहां पर सिक्का चलता है,,, कांग्रेस ने शहरी नेतृत्व की कमान चिंटू चौकसे को दी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में विपिन वानखेड़े को अध्यक्ष बनाया गया है। माना जा रहा है कि यह नियुक्ति ओबीसी और युवा चेहरों को आगे लाकर संगठन को मजबूती देने की रणनीति का हिस्सा है।

भोपाल में पुराने चेहरों पर भरोसा
मप्र की राजधानी भोपाल में कांग्रेस ने बड़ा बदलाव नहीं किया। प्रवीण सक्सेना (शहर) और अनोखी मानसिंह पटेल को ग्रामीण अध्य्क्ष को जिम्मेदारी देकर यह संदेश दिया गया है कि पार्टी यहां परफॉर्मेंस को देखते हुए स्थिरता चाहती है।

गुना में सिंधिया परिवार को टक्कर

सबसे चर्चित नियुक्ति गुना जिले में हुई, जहां पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। इसे साफ तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में कांग्रेस की सियासी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। संगठन यहां सीधी लड़ाई की तैयारी कर रहा है।

उज्जैन में सीएम के गढ़ में कांग्रेस की रणनीति

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह नगर उज्जैन में कांग्रेस ने दिलचस्प दांव चला है।

विधायक महेश परमार को जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है। परमार तराना से विधायक हैं और इससे पहले उज्जैन संसदीय क्षेत्र से लेकर महापौर तक का चुनाव लड़ चुके हैं। इस नियुक्ति के जरिए कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि परमार को संगठन में बड़ा रोल देकर सीधे मुख्यमंत्री मोहन यादव के गढ़ में चुनौती खड़ी की जाएगी।

वहीं मुकेश भाटी को दोबारा शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर रिपीट किया गया है।

परमार और भाटी की जोड़ी से उज्जैन में नए राजनीतिक समीकरण बने हैं। माना जा रहा है कि परमार विपक्ष के मुख्य चेहरे के तौर पर उभर रहे हैं और विधानसभा से लेकर जिले की राजनीति तक मुख्यमंत्री को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। दिलचस्प यह भी है कि शहर और ग्रामीण अध्यक्ष पद की दौड़ में कई और नाम थे, लेकिन अंततः परमार और भाटी ने बाज़ी मार ली।

बड़ा संदेश

71 जिलों में हुई इन नियुक्तियों के जरिए कांग्रेस ने यह साफ कर दिया है कि उसका फोकस युवा नेतृत्व, जातीय संतुलन और लोकसभा चुनाव से पहले संगठनात्मक मजबूती पर है। उज्जैन जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक और धार्मिक केंद्र पर संगठन ने खास ध्यान दिया है। अब देखना होगा कि विपक्ष में कांग्रेस के नए कप्तान भाजपा को कितनी कड़ी टक्कर दे पाते हैं।

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