कालिदास संस्कृत अकादमी में सम्मान समारोह आयोजित

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उज्जैन,18 अगस्त। उज्जैन शहर की आत्मीयता, स्वागत-सत्कार की परम्परा, स्नेह, आदर मैं जीवन में कभी नहीं भूल सकता। अवन्तिका का मैं ऋणी हूँ। बाबा महाकाल की कृपा मुझ पर सदैव बनी रही एसी मैं अन्तरमन से कामना करता हूँ। उक्त विचार कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजयकुमार सी.जी. ने व्यक्त किये। आपने कहा की मेरे कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने जो भी उपलब्धि हासील की है। उन सब में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपतियों, विश्वविद्यालय के शिक्षको, कर्मचारियों तथा छात्रों का विशेष योगदान रहा है। सभी ने मिलजुल कर परिश्रम निष्ठा से कार्य किया। जिसके परिणाम स्वरुप विश्वविद्यालय की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हो सकी है।

स्वागत वक्तव्य देते हुए अकादमी के निदेशक डॉ. गोविन्द गन्धे ने कहां की सीमित संसाधनों में कुलगुरु प्रो. विजयकुमार ने जो कार्य किया है वह उनकी नेतृत्व क्षमता का परिचायक है। वे अत्यन्त विद्वान होते हुए भी अत्यन्त विनम्र ओर सहज है। मुख्य वक्ता डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने कहां की विश्वविद्यालय प्रो. विजयकुमार सी.जी. का आन्तरिक एवं बाह्य दोनों तरह का व्यक्तित्व सभी को आकर्षित करता है। आपने विश्वविद्यालय के विकास को लक्ष्य बनाकर कार्य किया है। इसलिए यह परिणाम सामने आया।

वरिष्ठ संस्कृतज्ञ डॉ. केदारनारायण जोशी ने कहां की प्रो. विजयकुमार सी.जी. विद्वान कुलगुरु है। इस अवसर पर संस्कृत भारती के संस्कृत सप्ताह का भी समापन हुआ। संस्कृत सप्ताह के कार्य का वृत्त डॉ. रमेश शुक्ला ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यायल के कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कहा की प्रो. विजयकुमार ने समस्त बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य पर दृढ़ रहकर विश्वविद्यालय का विकास किया है। इस अवसर पर अतिरिक्त संचालक, उज्जैन संभाग प्रो. अनिजवाल, प्रो. हरिमोहन बधोलिया, प्रो. गोपाल शर्मा, डॉ. सन्तोष पण्ड्या, डॉ. सुभाष कुमावत आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन श्री दुर्गाशंकर सुर्यवंशी ने किया तथा आभार डॉ. संदीप नागर ने माना।

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